दिसम्बर, 2010 के लिए पुरालेख

Badla na apne aap ko

Posted: दिसम्बर 31, 2010 in Uncategorized

बदला न अपने आप को जो थे वही रहें,
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहें,
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम,
थोड़ी बहुत तो जहन में नाराजगी रहें ,
अपनी तरह सा दिल को किसी की तलाश थी ,
हम जिसके भी करीब रहें दूर ही रहें,
गुजरो जो बाग़ से तो दुआ मांगते चलो,
जिसमे खिले हैं फूल वो डाली हरी रहें !!

: NM (Not Mine)

Us wakt ki tamanna

Posted: दिसम्बर 20, 2010 in Uncategorized

उस वक्त की तमन्ना न जाने किस पल बदल गयी,
की हम देखते ही रह गए वो मुसलसल निकल गयी,
साजिश हुई कुछ ऐसी की मेरी दुनिया बदल गयी,
निकले थे एक साथ पर उसकी मंजिल बदल गयी !!

फिर एक दफा इन आँखों को कुछ यादें मसल गयी,
बेसबब मेरी ज़िन्दगी की हर मोहब्बत मचल गयी,
हम ख़ुश हुए कुछ इतने की हर रंजिश दहल गयी,
की मेरे डूबने से जब उसकी वो कश्ती संभल गयी !!

In progress…

— ABZH

taskeen ko hum na roye

Posted: दिसम्बर 14, 2010 in Uncategorized

तस्कीन को हम न रोए जो ज़ौक-ए-नज़र मिले,
हूरान-ए-खुल्द में तेरी सूरत मगर मिले !!

अपनी गली में मुझ को न कर दफ़न बाद-ए-क़त्ल,
मेरे पते से खल्क को क्यों तेरा घर मिले !!

साकी गरी की शर्म करो आज वरना हम,
हर शब् पीया ही करते हैं मै जिस क़दर मिले !!

तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम,
मेरा सलाम कहीयो अगर नामाबर मिले !!

तुम को भी हम दिखाए के मजनूं ने क्या किया,
फुर्सत कशाकश-ए-गम-ए-पिन्हाँ से गर मिले !!

लाजिम नहीं के खिज्र की हम पैरवी करें,
माना के एक बुज़ुर्ग हमें हमसफ़र मिले !!

ऐ साकनान-ए-कूचा-ए-दिलदार देखना,
तुम को कहीं जो ग़ालिब-ए-आशुफ्ता सर मिले !!

-ग़ालिब

Usne hi

Posted: दिसम्बर 12, 2010 in Uncategorized

उसने ही पहली किलकारिया सुनी होंगी,
उसके ही आगे वो पहली मुस्कान ठहरी होंगी !!

उसने ही रातों को पहली गीत सुनायी होंगी,
उसने ही इन बातों को तहजीब शिखायी होंगी !!

उसने ही अपने वो खोये खिलौने ढूँढ कर लाये होंगे,
उसके ही आगे कभी ये पैर पहली बार चले होंगे !!

उसके ही आगे हम पहली बार अकारण रोये होंगे,
उसने ही फिर इन आँखों से आँसू भी पोछे होंगे !!

उसने ही पहली बार अ आ इ ई इन हाथों से लिखवाये होंगे,
उसके ही आँचल में कभी किसी भय से हम लिपटाये होंगे !!

हा वो माँ ही हैं जिसके लिए कितने खुदा इस ज़मीन पे आये होंगे,
और फिर कोई श्री कृष्ण कोई मोहम्मद तो कोई जीसस कहलाये होंगे !!

सोचता हूँ की उसने भी कभी हमसे अपने सपने सजाये होंगे,
सोचता हूँ की उसने भी हमारे लिए अब तक जीवन बचाये होंगे !!

उस माँ को कोटि-कोटि नमन हैं न जाने कितने जीवन इस जगत में आयें होंगे,
तुच्छ हैं वो हर जीवन जो कभी तनिक भी उस माँ को आघात पहुचाये होंगे !!

— ABZH

My Shayari New 1.8

Posted: दिसम्बर 11, 2010 in Uncategorized

1.
हम तो उनके दोस्तों में शामिल हो न सके और नहीं उनसे कर पाए कभी दुश्मनी, खैर बेनाम रिश्ता ही सही पर कोई रिश्ता तो हैं जो ले कर आए इन आँखों में नमी !!

2.
कोई कहे टापता हैं; कोई कहे झाँपता हैं, खुदा जाने रंग क्या हैं; कौन कितना आँकता हैं !!

3.
मौत की शमा जलती रहेगी, कितने परवाने कतार में हैं !!

4.
हम तो इस काबिल ही नहीं थे की कभी तुम्हें माफ़ करते, जब खुदा की न थी मर्ज़ी फिर तुम क्या इन्साफ़ करते !!

5.
यह महफ़िल तो तुम्हारी हैं, हम तो आज भी कुछ दूर से रौशनी देखते हैं !!

6.
कि कमबख्त ज़िन्दगी भी कितनी खुबसूरत होती हैं, चाहों तो किसी मरने वाले से पूछ कर देख लो !!

7.
मेरे हिंदुस्तान को लूटने कई आये और इतिहास के पन्नों में खो गये, और आज ये संसद के कुछ टोपी वाले समझते हैं कि हम लूट लेंगे !!

8.
मोहब्बत में किनारा तुम ढूंढ़ लो, हम तो डूबने के कायल हैं !!

9.
यहाँ हम सब उम्मीद से हैं,
कि इस दुनिया में नसीब से हैं,
यहाँ दोस्त भी अजीब से हैं,
कि जान लेकर भी रकीब से हैं !!

10.
मुकद्दर की बात करते हैं लोग, खैर हम तो अपनी लकीर मिटा बैठे है !!

-ABZH

Tune jo muskura diya

Posted: दिसम्बर 6, 2010 in Uncategorized

तुने जो मुस्कुरा दिया,
चँदा भी बादल में छिप गया,
शरमा के,
तेरे आगे,
और ये लम्हा रुक गया !

बात कहनी थी,
जो तुझसे मिलते ही,
जाने अब तक,
मैं क्यों कह न पाया !

मेरे ख़्वाबों में,
बस तेरी बातें हैं,
आज सबकुछ खोकर,
तुझे मैंने पाया !

कैसे करूँ तेरा शुक्रिया,
ये दिल जाने मैं कैसे जिया,
तुम मिले तो,
लगे मुझको,
मुझे मेरा जहां मिल गया !

-ABZH

Haar ka sandesh

Posted: दिसम्बर 5, 2010 in Uncategorized

वो वाक्य कुछ विशेष था,
किसी रहस्य का अन्वेष था,
वो प्रारंभ था या शेष था,
या क्रोध का आवेश था,
वो विरोध था विद्वेष था,
या मेरा आत्म-विश्लेष था,
वो क्लेश था अफसोश था,
या जीवित होने का दोष था,
वो नालफ्ज़ था खामोश था,
या फिर वक्त ही मदहोश था,
वो समय का बदला भेष था,
या मेरे प्यार का अवशेस था,
वो उसके जीत का विग्नेश था,
या फिर मेरे हार का सन्देश था,
हा, वो मेरे हार का सन्देश था !

–ABZH

Saawan Hain Aayo Re

Posted: दिसम्बर 3, 2010 in Uncategorized

आयों रे आयो रे,
सावन हैं आयों रे ,
देखों ये बूंदों की,
खुशिया हैं लायो रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !

हर ओर गगन में गूंजे हैं क्यों शोर,
देखो बादल बड़ा हैं घनघोर !
दिल से दिल अब बंधे हैं जो डोर,
कौन पागल यहाँ हैं चित्तचोर !

अब बादल गरजेगा तो ये सावन झूमेगा,
जब पानी बरसेगा तो ये धरती छमकेगा !

छायों रे छायों रे,
बादल हैं छायों रे !
कैसी ये पवन चली,
दुनिया हैं भायों रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !

फिर उन यादों की तरंग चली हैं,
जैसे ख्वाबो की कोई पतंग कटी हैं !
आज छुटपन के साथी संग नहीं है,
वो आते जाते लोग वो रंग नहीं हैं !

यह आँचल बादल का हैं काजल से गहरा,
पानी की बूंदों पर क्यों मन मेरा ठहरा !

आओं रे आओं रे,
खुशियाँ मनाओ रे !
जितने भी ग़म हैं ,
आज भूल जाओ रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !

नभ के अंतर में छुपी हैं,
बूंदों की ये चित्रलिपि हैं !
धरती पे गिरने झुकी हैं,
देखों ये किस विधि टिकी हैं !

सूरज की किरणे भी हैं देखो बूंदों की धुन में,
हर पत्तों पर हर फूलों पर कहे मोती है जड़ने !

गाओं रे गाओं रे,
झूमो और नाचों रे !
राहों में गावों में,
धूम मचाओ रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !

— ABZH