आयों रे आयो रे,
सावन हैं आयों रे ,
देखों ये बूंदों की,
खुशिया हैं लायो रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !
हर ओर गगन में गूंजे हैं क्यों शोर,
देखो बादल बड़ा हैं घनघोर !
दिल से दिल अब बंधे हैं जो डोर,
कौन पागल यहाँ हैं चित्तचोर !
अब बादल गरजेगा तो ये सावन झूमेगा,
जब पानी बरसेगा तो ये धरती छमकेगा !
छायों रे छायों रे,
बादल हैं छायों रे !
कैसी ये पवन चली,
दुनिया हैं भायों रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !
फिर उन यादों की तरंग चली हैं,
जैसे ख्वाबो की कोई पतंग कटी हैं !
आज छुटपन के साथी संग नहीं है,
वो आते जाते लोग वो रंग नहीं हैं !
यह आँचल बादल का हैं काजल से गहरा,
पानी की बूंदों पर क्यों मन मेरा ठहरा !
आओं रे आओं रे,
खुशियाँ मनाओ रे !
जितने भी ग़म हैं ,
आज भूल जाओ रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !
नभ के अंतर में छुपी हैं,
बूंदों की ये चित्रलिपि हैं !
धरती पे गिरने झुकी हैं,
देखों ये किस विधि टिकी हैं !
सूरज की किरणे भी हैं देखो बूंदों की धुन में,
हर पत्तों पर हर फूलों पर कहे मोती है जड़ने !
गाओं रे गाओं रे,
झूमो और नाचों रे !
राहों में गावों में,
धूम मचाओ रे !
गाओं रे गीत झूम के,
बूंदों के प्रीत धुन पे !
— ABZH
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