उसने ही पहली किलकारिया सुनी होंगी,
उसके ही आगे वो पहली मुस्कान ठहरी होंगी !!
उसने ही रातों को पहली गीत सुनायी होंगी,
उसने ही इन बातों को तहजीब शिखायी होंगी !!
उसने ही अपने वो खोये खिलौने ढूँढ कर लाये होंगे,
उसके ही आगे कभी ये पैर पहली बार चले होंगे !!
उसके ही आगे हम पहली बार अकारण रोये होंगे,
उसने ही फिर इन आँखों से आँसू भी पोछे होंगे !!
उसने ही पहली बार अ आ इ ई इन हाथों से लिखवाये होंगे,
उसके ही आँचल में कभी किसी भय से हम लिपटाये होंगे !!
हा वो माँ ही हैं जिसके लिए कितने खुदा इस ज़मीन पे आये होंगे,
और फिर कोई श्री कृष्ण कोई मोहम्मद तो कोई जीसस कहलाये होंगे !!
सोचता हूँ की उसने भी कभी हमसे अपने सपने सजाये होंगे,
सोचता हूँ की उसने भी हमारे लिए अब तक जीवन बचाये होंगे !!
उस माँ को कोटि-कोटि नमन हैं न जाने कितने जीवन इस जगत में आयें होंगे,
तुच्छ हैं वो हर जीवन जो कभी तनिक भी उस माँ को आघात पहुचाये होंगे !!
— ABZH