तेरी बाते ही क्यों याद आये मुझको,
सुनी राते ही क्यों साज आये मुझको,
ख़ामोशी में भी कुछ ये पल कह रही हैं,
कभी साँस ज्यादा कभी कम चल रही हैं,
क्या प्यार यही हैं, हाँ प्यार यही हैं !! -ABZH
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तेरी बाते ही क्यों याद आये मुझको,
सुनी राते ही क्यों साज आये मुझको,
ख़ामोशी में भी कुछ ये पल कह रही हैं,
कभी साँस ज्यादा कभी कम चल रही हैं,
क्या प्यार यही हैं, हाँ प्यार यही हैं !! -ABZH