रेत का सहरा आशियाना,
अब ढूँढ के लाये कहाँ से,
अपने लहू से रंज का रिश्ता,
अब ये निभाये कहाँ से,
फैला अम्बर, गहरा समंदर,
अब ईंद मनाये कहाँ से,
तारों की यहाँ फौज बिछी हैं,
अब चाँद ले आये कहाँ से,
काँटों के घर में रहती कली हैं,
अब जीत के जाये कहाँ से,
नफरत की जो आँधी चली हैं,
अब मीत ले आये कहाँ से,
ऐ मौला तेरे ज़ुल्म का नगमा,
अब हम सुनाये कहाँ से,
तू ही बता दे अपना रेहनुमा,
अब हम ले आये कहाँ से !!
-Chandra Tewary [ABZH]
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