दिसम्बर 29, 2012 के लिए पुरालेख

Naari

Posted: दिसम्बर 29, 2012 in Uncategorized
कभी धुप बनी,
तो कभी तू छाया,
तू जग जननी, 
जग काम न आया,
बन न्याय की दुर्गा, 
अब तज माया,
निर्भय बन तू, 
बन प्रबल काया,
ये नर जो तेरे इर्द-गिर्द हैं,
कैसे इनको दुष्कर्म हैं भाता,
किस नर का दोष मैं मानु,
जब तू हैं जननी तू हैं माता,
तू हैं कारण तेरे विनाश का,
तू हैं कारण तेरे उपहास का,
तू हैं कारण असभ्य आभास का,
तू हैं कारण निर्लज तलाश का, 
जब नारी तू हैं हर नर का जीवन,
फिर असभ्य हैं कैसे ये तेरा यौवन,
फेकों पाश्चात्य के मुखौटे और झूठे दर्पण,
कुछ सभ्य भी करो बच्चों के बचपन,
क्षमा मांगता हूँ,
अगर तुझे मैं न भाया,
कवि मन में मेरे ,
शब्द कठोर ही आया,
मैं ऋणी हूँ तेरा,
नमन करूँ तेरी काया,
पर तू ही हैं कारण,
जो भी मैं लिख पाया !! -Chandra Tewary