Prarambh Aasaan Nahi Hota
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प्रारंभ कभी आसान नहीं होता !!
पतझड़ के मौसम में,
हरे तृण भी ज़र्द हो जाते हैं,
फिर हरे होने की चाहत में,
बसंत तक यूँ ही उनका इम्तिहान नहीं होता !!
हाँ, प्रारंभ कभी आसान नहीं होता !!
अविरत ह्रदय धड़कता हैं,
फिर कृतघ्न मनुष्य जन्नत की,
चाह में रोज भटकता हैं,
ह्रदय भी चाह बटोरे तो जिंदा इंसान नहीं होता !!
हाँ, प्रारंभ कभी आसान नहीं होता !!
लौह लहू बहाता हैं,
जब वीर रण में जाता हैं,
भू-खंड से भू-मंडल का शहरयार बन जाता हैं,
लहू बहाने से डरता तो सिकंदर महान नहीं होता !!
हाँ, प्रारंभ कभी आसान नहीं होता !!
-ABZH
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