जून, 2013 के लिए पुरालेख

Antar

Posted: जून 23, 2013 in Uncategorized
तुझे भीड़ पसंद था, 
मुझे एकांत,
तुझे तीर पसंद था, 
मुझे मझ-धार,
तुझे विवाद पसंद था, 
मुझे समर्पण,
तुझे अलंकार, 
तो मुझे दर्पण;
तुझे विहग पसंद थे,
मुझे तिनके,
तुझे पुष्प के मनके,
मुझे काँटे,
तुझे विटप पसंद थे,
मुझे पत्ते,
तुझे मनोहारी दृश्य,
तो मुझे आँखें !!
 
तुझे व्यतिक्रम पसंद था, 
मुझे यथार्थ,
तुझे महत्व पसंद था,
मुझे सार्थ, 
तुझे द्रुत जल-प्रपात,
मुझे सागर,
तुझे भव्य महल,
तो मुझे अम्बर;
तुझे मार्ग पसंद था,
मुझे आवारा,
तुझे ज्ञान दिशा का,
मुझे दिशा हारा,
तुझे पूर्ण चन्द्रमा, 
मुझे तारा,
तुझे कोई जीता हुआ,
तो मुझे हारा !!
 
-चन्द्र शेखर तिवारी

Path Aur Pathik

Posted: जून 9, 2013 in Uncategorized
एक लौ बुझा जल-जल कर,
जीवन ज्योति के तट पर,
आ जाओ फिर जी ले हम,
आशाओं के नव पथ पर !!
 
चाहे साँस थमे या साँस चले,
पथिक को पथ ही दीखता हैं, 
सूरज डूबे पर पथ डूबता नहीं,
यही पथ की नियमितता हैं !!
 
लक्ष्य का अंत जाने कब होगा,
संघर्ष पथिक का कम कब होगा,
कभी सूरज, कभी चाँद-सितारे,
ऊंचे गगन में तम कब होगा !!
 
एक राग रूठा छल-छल कर,
जीवन-मृत्यु के रथ पर,
फिर प्रेम सुधा तुम बरसाओ,
अंतर स्मृति के पथ पर !! 
 
समय विषम हो, कभी हो सम,
कभी उदित हो, कभी हो भ्रम, 
डगमग पग हो, नहीं हो क्रम,
गिरे-उठे पग पथिक धरम !!
 
मान्य नहीं ठहराव का जीवन,
पतझड़ हो, वसंत हो या सावन,
बेड़ी हो पग में,आँखों में अँसुवन,
पथिक का पथ उसका तपोवन  !!
 
एक नाव डूबा चल-चल कर,
जीवन उदधि के पथ पर,
फिर तरणी की राह अपनाओ,
लहरों की धारा में बह कर !! -चन्द्र शेखर तिवारी