सितम्बर, 2014 के लिए पुरालेख

Tum Se Tum Mein

Posted: सितम्बर 14, 2014 in Uncategorized

तुम से तुम में मिलने का,
प्रिये ! क्या तर्क रखा जाए,
जो मार्ग प्रवृत हैं लहरों का,
कहो कैसे अर्थ कहा जाए !!

अंतर-कण में, अंतर-तम में,
प्राप्य हमें, प्रिये ! हार हुआ,
प्रीत विवेक या प्रीत के भ्रम में,
जो प्रश्न उठे, धिक्कार हुआ !!

लक्ष्य-हीन हो पथ पर चलना,
हठ ये नहीं, एक प्रयोजनता हैं,
लक्ष्य हो, तो क्या सृजनता हैं ?,
स्वीकार नहीं तुम्हें, अनमनता हैं !!

अब अंत नहीं, जो शून्यता हैं,
इस जीवन में, जो न्यूनता हैं,
मिथ्या नहीं, ये दृष्टांत दिव्य हैं,
जीवन से ही जीवन बनता हैं !!

जब पुष्प बना, तो शूल रहा,
जब प्रणय बना, तो भूल रहा,
उस जीवन का सार ही क्या ?
जो अपूर्ण हुआ, तो पूर्ण रहा !!

-चन्द्र शेखर तिवारी