दिसम्बर, 2011 के लिए पुरालेख

Meri Shayari 3.4

Posted: दिसम्बर 31, 2011 in Uncategorized

1.
मेरे दिल की तलाशी लेने वाले,
तू कभी सोज़-ए-गम पे भी यकीन कर,
महफिलों में ज़न्नत ढूंढने वाले,
तू कभी मिट्टी के घरों में भी ढूंढने चल !! -ABZH

2.
मैं सोचता हूँ, यह मनुज भी कभी-कभी कितना आश्चर्य कृत्य करता हैं ,
खुद तो प्यार मोहब्बत से रह नहीं पाया, इन पत्तों और फूलों को जुदा करता हैं,
पत्थरों और इस नश्वर दुनिया को सजाने के लिए, क्यों इनकी प्यार भरी दुनिया तबाह करता हैं !
– ABZH (From Phool Aur Pattein)

3.
वो वाकिफ नहीं था रहम-ओ-करम से,
या फिर कानूनी नहीं था मेरा आशियाना,
वो तूफ़ान लाया बेसबब किस भरम से,
कि मुमकिन नहीं था फिर घर बसाना !! -ABZH

4.
कि तुम मुद्दतों बाद जलजले की बात करते हों, यहाँ तो हर रोज क़यामत आती हैं !! -ABZH

5.
कि एक राह गुजरती हैं मेरे सूने ख्वाबों में,
हर मोड़ पे रुकती हैं जाने किसके यादों में !! -ABZH

6.
ऐतबार-ए-इंतज़ार हम कितना कर गए ,
ये किसे मालुम यहाँ !!
कि कौल-ओ-करार हम कितना कर गए,
ये किसे मालुम यहाँ !! -ABZH

7.
शिकायत करे क्या हम,
इन अश्कों से क्या गम,
दिल की दीवारें हुई फिर से नम,
कि अब हम तुम नहीं हम-तुम !! -ABZH

8.
अजनबी तो हम थे ही पहले, फिर हुए तो क्या हैं गम !! -ABZH

9.
कि आशना हैं ये जान हमारी,
पर तेरी महफ़िल का तलबगार नहीं,
ऐसे आते होंगे चाँद-सितारे,
पर तेरी महफ़िल में वो प्यार नहीं !! -ABZH

10.
दिलकश आरज़ू,किसी की रिक्क़त,
वो जन्नत और रूमानी मौसम,
किसी की जुस्तजू, दिल की गैरत,
वो मोहब्बत और जाह-ओ-हशम,
ऐसे तो इनके बगैर भी कितने लोग जिंदा हैं,
फिर ऐ दिल तू ही क्यों शिकवा करे !! -ABZH

Koun hun main

Posted: दिसम्बर 22, 2011 in Uncategorized

लिख लेता हूँ जो भी दर्द हैं दिल में,
किसी वज़्म का फ़नकार नहीं हूँ !!

दुःख भरे गीतों का बोल हूँ मैं,
अश्क हूँ झंकार नहीं हूँ !!

दर्द से तो खैर इश्ककारी हैं अपनी,
वफ़ा हूँ किसी का इंकार नहीं हूँ !!

जलती धुप में ही जन्नत हैं मेरी,
ठंडी छाँव का खुमार नहीं हूँ !!

उनसे मिलने की तमन्ना तो दिल में न रही,
किसी के आने की सोच हूँ इंतजार नहीं हूँ !!

-ABZH

Panchhi ud jaa dur gagan me

Posted: दिसम्बर 18, 2011 in Uncategorized

ऐ पँछी उड़ जा दूर गगन में,
इस धरती पर बसेरा तू न कर !!

स्वार्थ समंदर में डूबी दुनिया,
तुझे पिजड़े में रख लेगी,
दो-चार रोज तेरी भूख मिटाकर,
ये तेरी नीलामी कर देगी,
लेकर तेरी प्राणों की आहुति,
जिब्ह्वा की तृप्ति कर लेगी !!

ऐ पँछी उड़ जा दूर गगन में,
बादलों से तूफानों से तू न डर !!

हौसले की चिंगारी तेरे परो में,
हैं अजेय अभिलाषा तेरे नयन में,
तू किरणों से उज्जवलित उरो में,
तू साहस का हैं सन्देश पवन में,
अब उदाहरण बन तू घरो-घरो में,
चल स्वतंत्र हैं तू उड़ निडर गगन में !!

ऐ पँछी उड़ जा दूर गगन में,
इस धरती पर बसेरा तू न कर !!

-ABZH

Mere Shayari 3.3

Posted: दिसम्बर 12, 2011 in Uncategorized

1.
कि तेरा काफ़िला हर एक मोड़ पर नज़र आता हैं,आखिर हम गुजरे भी तो किस मोड़ से !! -ABZH

2.
छोड़ कर रास्ते मंजिल दूर चले जाते हैं ,
कहीं मिलते हैं तो कहीं बिछड़ जाते हैं !! -ABZH

3.
रुक गए दो कदम,
दो कदम चल दिए,
हम से तुम हो गए,
दो रास्ते बन गए !! -ABZH

4.
उन दिनों कमी नहीं थी,
आँखों में नमी नहीं थी,
उम्मीदें थी, चाहतें थी,
धड़कनें यूँ थमी नहीं थी !! -ABZH

5.
सोज़ में फिर शफ़क मिला शाम से,
चाँद बादलों में नाराज़ दिखा,
उस शाम नशे में हम डूबे कुछ ऐसे,
सामने अश्कों का परवाज़ दिखा !! -ABZH

6.
ऐ मौला तेरा आईना टूटा हैं, कि अब तेरे फैसले में रहते दाग हैं !! -ABZH

7.
ऐ ज़िन्दगी तू हमें आज़माती रही,
वक़्त के फैसले तू सुनाती रही,
कहीं सितारों से महफ़िल सजाती रही,
कहीं टूटे दीयों में बाती बुझाती रही !! -ABZH

8.
ऐ बादल घिर जा गहरे कारे,
दरिया,सागर सब तेरे सहारे,
ये धरती कब से तुझे पुकारे,
संदेशा गगन का लेकर आरे !! -ABZH