Bewafaa Aasmaan

ऐ आसमान तुने किसको दिया हैं ठिकाना ?

बादल भी टूट कर धरती पर बरसा,
उड़-उड़ परिंदा भी बसेरे को तरसा,
बुलंदी हैं तेरी कि तेरे निचे हैं धरती,
तुझे छूने के लिए ये दुनिया हैं मरती,
तू न मिला हैं किसी को न मिलेगा किसी को,
यह भेद, ऐ दुनिया तू समझेगा कभी तो,
कितने घर उजड़े हैं कितने सपने टूटे हैं,
तुझे पाने के लिए कितने अपने छूटे हैं,
ऐ दुनिया के मालिक तेरा आसमान बेवफा हैं,
कभी भी जिंदा किसी को ये मिलता कहाँ हैं,
दुनिया तू खुश रह जो भी मिला हैं जो भी तेरा जहां हैं,
सदिया बीत गयी फिर भी देख कहाँ तू और कहाँ आसमान हैं !!

ऐ आसमान तुने किसको दिया हैं ठिकाना ?
-चन्द्र शेखर तिवारी

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