1.
कि जिन पन्नों को बरसों बचाए रखा, आज जो देखा तो रेखा-विहीन हैं !! -ABZH
2.
मुसर्रत जो उसके ग़म में मिली हैं हम उसका ज़िक्र क्या करे, बस इतना जानते हैं कि आज-कल उस जन्नत से भी आवाज़ आती रहती हैं !! -ABZH
3.
किसी एक बेसरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के कंप्यूटर लैब में एक कागज़ का चिट निचे पड़ा पाया जिस पर बब्बल सोर्ट का प्रोग्राम लिखा था…बड़ा अचरज में था कि दो लाइन का प्रोग्राम और उसके लिए चिट. फिर सोचा कि शायद हीप सोर्ट के लिए ये पूरी किताब लाये होंगे 🙂 -ABZH
4.
इन ऊँची-ऊँची इमारतों में हम क्या करेंगे साहब, हाँ, अगर कोई मिट्टी,ईंट और पत्थर का काम हो तो बताओ !! -ABZH
5.
ये शायरी मेरे इश्क़ की तौबत ही सही, कि हमने चाँदनी रात में भी चाँद को छिपते देखा हैं !! -ABZH
6.
और फिर उलझे रहे मेरे अल्फाज कुछ इस कदर कि ख़ामोशी भी हमें छोड़कर दो कदम आगे निकल गयी !! -ABZH
7.
कौन जाने कितने बाबा आये होंगे भगवान श्री राम का नाम लेकर,
लोक-कल्याण और देश-निर्माण की फरेबी और झूठी दूकान लेकर ,
आज-कल देश-भक्ति के नाम पर कुछ अपने मुट्ठी भर गुलाम लेकर,
दिवा-स्वप्न देखते हैं ये कि कभी राज करेंगे सारा हिंदुस्तान लेकर !!
-ABZH
8.
खुली किताब हमें कहने वाले,
अब तू भी मेरा मोल लगा ले,
कभी बरसो पहले मोल लगी थी,
कि आज देखूँ कितना बदला हूँ मैं !! -ABZH
9.
सब के सब यहाँ चोर, भाई जाए कहाँ कमज़ोर 😦 -ABZH
10.
कभी ज़िन्दगी हँसाएगी तो कभी ज़िन्दगी रुलाएगी,
इंसान हो तुम भगवान नहीं कि हर बात बनती जाएगी !! -ABZH