Couplets – 1

Posted: दिसम्बर 24, 2018 in Uncategorized

सारी ग़लतियाँ तराश ली हैं हमनें, हर फासले से अपना रिश्ता हैं,
इतने चेहरे अर्जियों में शामिल हैं, हर चेहरा आईना सा दीखता हैं | -चंद्र शेखर तिवारी

कि सुकून-ए-वतन के जानिब से, वो मजहब तब आलिशान होगा,
जो हर मंदिर में एक मस्जिद हो, जो दुवाओं में हिन्दोस्तां होगा | -चंद्र शेखर तिवारी

वो नादिम रहा गुलज़ारों में, काँटों की ख्वाहिश आवारों में,
रखा महफूज़ उन्हें नज़ारों में, खुद बदनाम रहा बाज़ारों में | -चंद्र शेखर तिवारी

हिय से हिय तक सेतु-पथ नहीं,
जल-धार रहे प्रतीक प्रीति का,
न पुष्प-मुकुल, न कंचन-मोती,
पारावार रहे प्रकृत प्रीति का | -चंद्र शेखर तिवारी

खाक में सुर्खरू की इब्तिदा पले तो पलने दो,
अँगारों में अगर कोई फूल खिले तो खिलने दो,
तुम छोड़ो अपना आशियां जले तो जलने दो,
बारूदों को हवा का सहारा मिले तो मिलने दो । -चन्द्र शेखर तिवारी

जो चाँद निकले तो उसका मजहब पूछ लेना,
सूरज के उजाले से उसका सरहद पूछ लेना,
वो कौन था? आखिर वो किस शहर का था?
तुम उसके कफन से उसका वतन पूछ लेना | -चन्द्र शेखर तिवारी

हम उलझे हुए हैं जाने किस मक़ाम के लिए,
किसी बच्चे की ज़िद पर इंतकाम के लिए,
कब तक सोज़ सोये नसों में ईमान के लिए,
कहाँ तक चले हम अकेले इत्मीनान के लिए | -चन्द्र शेखर तिवारी

हौसलों की ताख पर जोश को आवाज़ मिले,
साँसों की क्या बात हैं, जान भी आज़ाद मिले । -चंद्र शेखर तिवारी (विनय, बादल और दिनेश को समर्पित)

धर्म की दीवार बड़ी ऊँची हैं तेरे घर में,
न लांघ सके कोई कि पहुँचे पास तेरे दर में !! -चंद्र शेखर तिवारी

ज़िन्दगी इस शहर में गुमनाम सा हो गया हैं,
हैं सड़कें वही पुरानी मक़ाम पर खो गया हैं | -चंद्र शेखर तिवारी

कुछ अधूरे ख्वाब हैं जो सरहदों से लौटें हैं,
आँखों में फिर बसने को जी हजूरी करते हैं,
पुरे होंगे फिर कभी दिल में ज़ौक़ रखते हैं,
सोते-जागते राहों में देखों कब तक चलते हैं |
-चंद्र शेखर तिवारी

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