Yeh Itihas Wahi Likh Payenge

Posted: फ़रवरी 18, 2019 in Uncategorized
ये इतिहास वही लिख पाएंगे ,
वही मलिन अध्याय दुहराएँगे,
कटवा किशोरों को खुद आश्वस्त हुए,
क्या लहू का मोल चुकाएंगे ?
 
नाम घटा-बढ़ा किसके देश का,
कहो सिन्दूर लुटा किनके शेष का,
निज लाल चढ़ाए जिनने शावक अंतर लिए,
देश-मुख देख कर किसके द्वेष का ?
 
हृदय निर्द्वेष हैं, कौन नहीं द्रोह करता हैं,
भूख के पैरों पे किसका शीश नहीं झुकता हैं,
वह देश बिलखता हैं, वह देश सदैव रोता हैं,
नौजवान जिस देश का रणभूमि में लड़ता हैं |
 
सत्व का गौरव जहाँ ईंट-ईंट हो बिखर जाता हैं,
वैयक्तिक भोगवाद के दीमक में जकड़ जाता हैं,
अर्थ पाप के बल से दण्ड-नीति बदल जाता हैं,
वहाँ देश तिमिर-व्यूह में अनन्त दूर निकल जाता हैं |
 
पापियों के हित जहाँ बुझती शिखा हैं,
जहाँ स्वार्थ-लोलुप समाज शत्रु हाथों बिका हैं,
राष्ट्रनीति मिथ्या देशप्रेम के अवलम्ब पर टिका हैं,
उस देश का विध्वंस समीप ही लिखा हैं |
 
जो समुदाय क्षोभ में, घृणा में, द्वेष में सबल हैं,
तप से, सहिष्णुता से, त्याग से निर्बल हैं,
जहाँ अन्यायी, अविचारी, सत्ताधारी सफल हैं,
वहाँ हर युद्ध वृथा हैं, हर विजय निष्फल हैं | -चंद्र शेखर तिवारी

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