वज़ूद बदला हैं,
पहचान बदला हैं,
कोई इंसान कहता हैं,
भगवान बदला हैं ।
तबाही अच्छी-खासी हैं,
अक़्सर नाम बदलती हैं,
अंजाम एक से हैं सब,
पर इंसान बदलती हैं ।
यकीन बदला हैं,
इन्साफ बदला हैं,
कोई इल्ज़ाम कहता हैं,
तमाम बदला हैं ।
ज़ुबानें उठती-गिरती हैं,
जो पहचान बदलती हैं,
इल्ज़ाम एक से हैं सब,
पर इंसान बदलती हैं ।
कारवाँ बदला हैं,
निशान बदला हैं,
कोई पासबान कहता हैं,
कहकशान बदला हैं ।
मुश्किलें आती-जाती हैं,
अक़्सर राह बदलती हैं,
मक़ाम एक से हैं सब,
पर इंसान बदलती हैं ।
सवाल बदला हैं,
जवाब बदला हैं,
कोई इम्तिहान कहता हैं,
फरमान बदला हैं ।
नफ़रतें बढ़ती-घटती हैं,
दैर-ओ-हरम बदलती हैं,
इंतजाम एक से हैं सब,
पर इंसान बदलती हैं ।
दस्तूर बदला हैं,
दास्तान बदला हैं,
कोई बागवान कहता हैं,
गुलिस्तान बदला हैं ।
नक़ाबें मिलती-जुलती हैं,
चेहरों के रंग बदलती हैं,
बेज़ुबान एक से हैं सब,
पर इंसान बदलती हैं । -चंद्र शेखर तिवारी