परिवर्तीत: ” ऐसे मैं शायर तो नहीं; मगर ऐ मेरी जिन्दगी, जब से तू रूठी मुझसे; मुझको शायरी आ गई !! ”
परिवर्तीत: ” हे मशरिक से जो आए मगरिब में खो गए, अरे पुरब से जो निकले पश्चिम में सो गए, अरे ये अच्छे खासे लोग थे दिवाने हो गए !! ”
– ABZH
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परिवर्तीत: ” ऐसे मैं शायर तो नहीं; मगर ऐ मेरी जिन्दगी, जब से तू रूठी मुझसे; मुझको शायरी आ गई !! ”
परिवर्तीत: ” हे मशरिक से जो आए मगरिब में खो गए, अरे पुरब से जो निकले पश्चिम में सो गए, अरे ये अच्छे खासे लोग थे दिवाने हो गए !! ”
– ABZH