तुने जो मुस्कुरा दिया,
चँदा भी बादल में छिप गया,
शरमा के,
तेरे आगे,
और ये लम्हा रुक गया !
बात कहनी थी,
जो तुझसे मिलते ही,
जाने अब तक,
मैं क्यों कह न पाया !
मेरे ख़्वाबों में,
बस तेरी बातें हैं,
आज सबकुछ खोकर,
तुझे मैंने पाया !
कैसे करूँ तेरा शुक्रिया,
ये दिल जाने मैं कैसे जिया,
तुम मिले तो,
लगे मुझको,
मुझे मेरा जहां मिल गया !
-ABZH